Tuesday 23 September 2014

सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी




सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी

Thu, 04 Sep 2014 

गंगा की सफाई के लिए सरकार की तैयारी पर सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी के पर्याप्त आधार हो सकते हैं, लेकिन इसकी भी अनदेखी नहीं की जा सकती कि केंद्र सरकार की ओर से पहले ही यह स्पष्ट किया जा चुका है कि इस नदी को साफ करने के लिए एक ठोस योजना पर काम हो रहा है और उस पर विभिन्न मंत्रालय मिलकर काम कर रहे हैं। केंद्र सरकार की ओर से कई अवसरों पर गंगा को साफ-स्वच्छ करने की प्रतिबद्धता भी जताई जा चुकी है और उसे देखते हुए ही कई देश उसकी सहायता करने के लिए आगे आए हैं। केंद्र सरकार ने गंगा के लिए एक अलग मंत्रालय बनाने के साथ ही जिस तरह नमामि गंगे योजना के लिए अच्छी-खासी धनराशि आवंटित की है उसे देखते हुए ऐसे किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता कि वह इस मामले में सुस्ती का परिचय दे रही है। यह सही है कि केंद्र सरकार को शासन की बागडोर संभाले सौ दिन हो चुके हैं, लेकिन गंगा की सफाई के लिए आनन-फानन काम शुरू कर देने से बेहतर है कोई ठोस योजना बनाकर आगे बढ़ना। यह इसलिए आवश्यक है, क्योंकि पिछले तीस सालों में गंगा को साफ करने के लिए जो अभियान शुरू हुए वे नाकाम ही साबित हुए। इन अभियानों की नाकामी से खुद सुप्रीम कोर्ट को परिचित होना चाहिए। अगर ये अभियान सही होते तो फिर गंगा की सफाई के नाम पर अरबों रुपये बर्बाद नहीं हुए होते। सुप्रीम कोर्ट को इस तथ्य से भी अवगत होना चाहिए कि गंगा को साफ-सुथरा बनाने के लिए किस तरह बार-बार उन्हीं तौर तरीकों पर अमल किया गया जो निष्प्रभावी साबित हो चुके थे। इन स्थितियों में पहली आवश्यकता इसी बात की है कि ऐसी कोई योजना बने जो गंगा को वास्तव में साफ-स्वच्छ करने में सहायक साबित हो। यदि केंद्र सरकार ठोस योजना बनाने में हीलाहवाली करती दिख रही हो तो फिर सुप्रीम कोर्ट को सख्ती दिखानी ही चाहिए।
गंगा की सफाई के लिए कारगर योजना तैयार होना इसलिए सबसे अधिक जरूरी है, क्योंकि ऐसा होने पर ही देश की अन्य नदियों के भी गंदगी से मुक्त होने की उम्मीद की जा सकती है। अभी तो जिन भी नदियों की साफ-सफाई का काम हो रहा है वह आधे-अधूरे ढंग से ही हो रहा है। परिणाम यह है कि धन की बर्बादी के साथ ही देश की करीब-करीब सभी नदियों में प्रदूषण बढ़ रहा है। चिंताजनक यह है कि राज्य सरकारें नदियों की साफ-सफाई में तनिक भी रुचि लेती नहीं दिखाई दे रही हैं। यह तब है जब वे यह जान रही हैं कि कौन सी नदी किन कारणों से प्रदूषित हो रही है? राज्य सरकारों की प्रदूषण नियंत्रण वाली एजेंसियां उन कल-कारखानों पर भी अंकुश लगा पाने में नाकाम हैं जो नदियों में कचरा उड़ेल रहे हैं। राज्य सरकारें यह भी नहीं सुनिश्चित कर पा रही हैं कि सीवेज शोधन संयंत्र सही तरह से चलें। बेहतर होगा कि गंगा की सफाई के मामले में केंद्र सरकार को कारगर योजना बनाने के लिए पर्याप्त समय दिया जाए। वह जो योजना बना रही है उसमें इसका पूरा ध्यान रखा जाना आवश्यक है कि अभी तक जो उपाय अपनाए गए वे नाकाम क्यों रहे?
[मुख्य संपादकीय]

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